For a long time I wanted to create a vintage kind of typography. What better than do it on the roads in full view. There is something about creating the font with your hands in your own style that made whole of this process highly enjoyable.
आज ख्वाब में तुम्हें देख न सका
बस गुसलखाने की उस पतली दीवार के पार से
सुन रहा था मैं
बूंदों की कलकल, रेडियो के गानों के बीच
उस मधुर गुनगुनाती आवाज़ को
सुन रहा...
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