आज ख्वाब में तुम्हें देख न सका
बस गुसलखाने की उस पतली दीवार के पार से
सुन रहा था मैं
बूंदों की कलकल, रेडियो के गानों के बीच
उस मधुर गुनगुनाती आवाज़ को
सुन रहा...
Showing posts with label miniature. Show all posts
Showing posts with label miniature. Show all posts